Thursday, 15 December 2011

आतंकवाद के विरोध में एक आवाज


  • लोगो कि हँसी और ख़ुशी बाजारो कि रोनक अचानक दुःख -दर्द और आसू-मायूसी में बदली, इन आतंकी हमलो ने!
  • हजारो बे गुनाहों कि जान ली इन आतंकी हमलो ने!
  • कई बार धरती का सीना दहलाया इन आतंकी हमलो ने!
  • हजारो माँ-बाप से बच्चे छीने और हजारो बच्चो को अनाथ बनाया इन आतंकी हमलो ने!
  • हजारो घर के चिराग भुजाये और हजारो घरो को जलाया इन आतंकी हमलो ने!



"फिर भी हम चुप है"

       ईशान जायसवाल कहते है की हम भारतीयों कि हालत पिंजरे में बंद कसाई के मुर्गो कि तरह है जो रोज चुप-चाप अपने मरने कि बारी आने का इंतजार करते है! बम और गोलियों से आतंकी खाली हमारे शारीर को मारते है मगर हमारी आत्मा तो पहले से मरी हुई है! ये ही कारण है इन आतंकी हमलो का!
  • क्या हमे याद है साल 2005 में कहा बम धमाके हुए?
  • क्या आपको याद है साल 2006 में हुए बम धमाको में कितने लोगो कि जाने गई?
हम आपको याद दिलवाते है:-
  • तारिक, स्थान, मरने वालो कि संख्या
  • Mar 1993, Mumbai , 257
  • Oct 2001, J&K, 35
  • May 2002, J&K, 30
  • Sep 2002, Gujrat, 31
  • Aug 2003, Mumbai, 52
  • Oct 2005, Delhi, 62
  • Mar 2006, Varanasi, 20
  • Jul 2006, Mumbai, 200
  • sep 2006, Malegaon, 30
  • Feb 2007, Ind & pak border, 66
  • May 2007, Hydrabad, 11
  • Aug 2007, Hydrabad, 30
  • Oct 2007, Ajmer, 2
  • May 2008, Jaipur, 65
  • Jul 2008, Bangalore, 2
  • Sep 2008, Delhi, 15
  • Oct 2008, Assam, 77
  • Apr 2009, Guwati, 6
  • Dec 2010, Varanasi, 20
  • Sep 2011, Delhi, 12
      लोग मरते गए और हम भूलते गए क्योंकि ये हमारे लिए आकडे मात्र थे! अगर हमारा कोई परिजन इन आतंकी हमलो में मरता तो हमारा दुःख-दर्द सालो काम नहीं होता! हजारो माता-बहने-भाई मरते गए और हम भूलते गए क्योंकि हम देश को अपने घर कहा समझे है अगर समझते तो इस तरहा चुप नहीं बैठते !

गुनाह करने वाला ही नहीं गुनाह सहने वाला सबसे बड़ा पापी है जो दुसरो के साथ गलत होता देख कर भी चुप रहेते हे .....एक दिन वक्त भी उनका गुनाह लिखेगा..

आपको एक 
गटना बतलाते है:-
आमिर और इमरान दिल्ली में एक होस्टल में रहा करते थे! वो दोनों अपने अपने शहर से दिल्ली पढने के लिए आए थे! दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी! छुट्टी वाले दिन दोनों दोस्त बाज़ार घुमने जाते है! बाज़ार में भीड़-भाड के बीच एक तेज धमाका होता है और चारो और धुआं फ़ैल जाता है आमिर जमीन पर गिरता है धुए के कारण उसे कुछ समय तक कुछ दिखाई नहीं देता! तेज आवाज के कारन उसके कान और दिमाग सुन्न पड जाते है! कुछ समय बाद धुआ कम होने पर वो आस-पास खून, शारीर के टुकड़े व लाशे देखता है और बेहोश हो जाता है! जब उसकी आँखें खुलती है तो वो अपने आप को घर वालो से घिरा हुआ अस्पताल के पलंग पर पाता है! होश आने पर उसके घर वाले बहुत खुश होते है और उसके पूछने पर निराश हो के बतलाते है उसका जिगरी दोस्त ईमरान नहीं रहा वो इस हादसे में मारा गया! ये खबर सुनके उसको तेजी से धक्का लगता है, ठीक होने पर वो गुम-सुम और निराश रहने लगता है, वो यकीन नहीं कर पा रहा होता है, उसे बहुत गुस्सा आ रहा होता है, उसको लगता है की ये गलत हुआ है और वो आतंकियों के विरोध में आवाज उठाने की सोचता है मगर घर वालो के दबाव में आकर चुप हो जाता है ये सोच कर की उस अकेले के आवाज उठाने से कुछ नहीं होगा फिर समय बीतता गया वह धीरे-धीरे सब भूल कर अपनी जिन्दगी में व्यस्त हो गया, पढाई समाप्त कर इंजिनियर बन बहुरष्ट्रिय कंपनी में नौकरी करने लगा! उसकी शादी हो गयी कुछ समय बाद वो दो बच्चो का पिता बन गया! एक आम व्यक्ति क़ी तरह उसकी भी जिन्दगी अपने परिवार तक सिमट कर रह गयी!
           मई 2008 - आज आमिर कि शादी कि सालगिरहा है, घर में दावत के कारण वो अपने बच्चो को स्कूल से जल्दी लेने जाता है! बच्चो को घर लाते समय गहनो कि दुकान पर गाड़ी रोक अपने 5 साल के लड़के को गाड़ी में छोर्ड अपनी 3 साल कि छोटी लड़की को लेकर अपनी बीवी के लिए तोहफा खरीदने के लिए जाता है !
         अचानक दुकान के बाहर तेज धमाका होता है और उसका बेटा मारा जाता है अगले दिन उसके घर में सारे रिश्तेदार एकत्रित होते है आमिर सदमे में होता है उसके बेटे का जनाजा उसके सामने होता है! उसकी बेटी उसके पास रोंती हुई आती है और उसका हाथ पकड़ कर पूछती है की पापा भईया को किसने मारा? आमिर रोते हुए बोलता है बेटा उसे मेने मारा है! सब मेरी गलती है! एक दिन ऐसे ही मेरा दोस्त मारा गया था तब मैंने कुछ नहीं किया! यदि तब में इन आतंकियों के विरोध में आवाज उठाता तो आज ये घटना दुबारा नहीं होती और तेरा भाई जिन्दा होता!
       दोस्तों हम कहते है की हम समझ सकते है की इन हादसों में परिजनों के मरने का दुःख दर्द क्या होता है ! पर हकीकत में परिजनों  के मरने का दुःख-दर्द  वो ही समझ सकते है जिनके घर वाले इन हादसों का शिकार बनते है! हमे केवल कुछ दिनों तक बुरा लगता है जब तक समाचार चेनलो पर  हादसे की लेहर होती है ! फिर हम सब भूल जाते है! 

       अब बस ये आपके उपर है चुप-चाप अपने मरने कि बरी आने का इंतजार करो या
  • हमारे साथ मिलके इन आतंकीयो के विरोध में आवाज उठाए! (जानने के लिए यहाँ click करे)
  • किसी संधिक्त व्यक्ति या घटना कि तुरंत नजदीकी पुलिस थाने में सुचना दे!

ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
All India Anti-Terrorist Unit
(IPY की आतंकवाद के विरोध एक आवाज)
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"